उद्धव ठाकरे ने बुधवार की रात को महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया. इसका एलान उन्होंने फेसबुक लाइव (Facebook) के जरिए जनता को संबोधित करते हुए भावुकता के साथ किया. लेकिन, इससे पहले, रात करीब 9 बजकर 10 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि हम फ्लोर टेस्ट (Floor Test) पर रोक नहीं लगा रहे, नोटिस जारी कर रहे हैं, जो भी परिणाम होगा वह हमारे अंतिम फैसले से बंधा होगा. 11 जुलाई को अगली सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई थी, ठीक 30 मिनट बाद सच साबित हो गई.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बदली तस्वीर
सुप्रीम के इस फैसले ने महाराष्ट्र की सियासत की पूरी तस्वीर बदलकर रखी दी है. फैसला आने के कुछ ही देर के बाद उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के साथ सत्ता वापसी के लिए बीजेपी का रास्ता साफ हो गया है. शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट के खिलाफ, जबकि शिंदे गुट और राज्यपाल के वकील ने फ्लोर टेस्ट के पक्ष में दलीलें पेश कीं.
फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने के पक्ष में शिवसेना ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होने तक फ्लोर टेस्ट टाला जाए. शिंदे के वकील ने रोक का वरोध करते हुए अयोग्यता पर फैसले से पहले डिप्टी स्पीकर पर फैसला हो, फ्लोर टेस्ट नहीं रोक सकते.
शिवसेना ने की फ्लोर टेस्ट टालने की मांग
शिवसेना के वकील ने कहा या तो फ्लोर टेस्ट टाल दीजिए या फिर डिप्टी स्पीकर को अयोग्यता पर जल्द फैसला लेने दें. शिंदे के वकील ने फ्लोर टेस्ट की मांग करते हुए कहा कि सीएम को फ्लोर टेस्ट से बचना बहुमत खोने की निशानी है, कोर्ट हमेशा जल्द फ्लोर टेस्ट कराता है. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद अब फ्लोर टेस्ट नहीं होगा.